5 Simple Statements About shiv chalisa lyricsl Explained
5 Simple Statements About shiv chalisa lyricsl Explained
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जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अर्थ: हे नीलकंठ आपकी पूजा करके ही भगवान श्री रामचंद्र लंका को जीत कर उसे विभीषण को सौंपने में कामयाब हुए। इतना ही नहीं जब श्री राम मां शक्ति की पूजा कर रहे थे और सेवा में कमल अर्पण कर रहे थे, तो आपके ईशारे पर ही देवी ने shiv chalisa lyricsl उनकी परीक्षा लेते हुए एक कमल को छुपा लिया। अपनी पूजा को पूरा करने के लिए राजीवनयन भगवान राम ने, कमल की जगह अपनी आंख से पूजा संपन्न करने की ठानी, तब आप प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छित वर प्रदान Shiv chaisa किया।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
O Glorious Lord, consort of Parvati You are most merciful. You mostly bless the weak and pious devotees. Your wonderful kind is adorned with the moon on your own forehead and on your ears are earrings of snakes’ Hood.
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी more info ॥ तुरत षडानन आप पठायउ ।
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।